Wednesday, December 31, 2008

नव वर्ष शुभ हो

ये जो नया वर्ष आया है खड़ा द्वार पर दस्तक देता
आशा है इसकी थैली में खुशियों वाली पूँजी होगी
जिसे आपके साथ करे वह खर्च और स्थितियाँ बेहतर हौं
अभिलाषा बस यही एक है, और न कोई दूजी होगी

लिप्सा और लालसा को यह जगह न दे जो पांव रखें वे
हाथ पकड़ कर सबका, आगे प्रगति पंथ पर लेकर जाये
एक कामना है यह मेरी, शांति और सौहार्द्र बहे नित
नये वर्ष की भोर सभी के द्वारे पर सौरभ बिखराये

Tuesday, December 23, 2008

अब इतने वर्षों से गीतकार की कलम के नाम से लिख रहा था और उसमें भी गीतकार का नाम

पंजीकृत किया हुआ था. परन्तु अभी पिछले दिनों समीर भाई ( उड़न तशतरी ) ने ध्यान दिलाया कि कोई अन्य व्यक्ति गीतकार के नाम से नया चिट्ठा लिखने लगा है तो यह आवश्यक हो गया कि मैं स्पष्ट कर दूँ कि



geetkar@gmail.com और गीतकार की कलम गीतकार ( यानि कि मेरे पास सुरक्षित हैं