ये जो नया वर्ष आया है खड़ा द्वार पर दस्तक देता
आशा है इसकी थैली में खुशियों वाली पूँजी होगी
जिसे आपके साथ करे वह खर्च और स्थितियाँ बेहतर हौं
अभिलाषा बस यही एक है, और न कोई दूजी होगी
लिप्सा और लालसा को यह जगह न दे जो पांव रखें वे
हाथ पकड़ कर सबका, आगे प्रगति पंथ पर लेकर जाये
एक कामना है यह मेरी, शांति और सौहार्द्र बहे नित
नये वर्ष की भोर सभी के द्वारे पर सौरभ बिखराये
Wednesday, December 31, 2008
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तो अब चार धाम कि यात्रा करवायेंगे आप :)
ReplyDeleteआपको, दीदी और गुडिया को नये वर्ष की ढेर शुभकामनायें !
:)
ReplyDeletediwali par ise yoon hee shayamal chhod denge ? :)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteWhat have you thought about this site Guruji?
ReplyDeleteब्लॉग की दुनियां में कुछ दिन पहले ही कदम रखा है आज अचानक आपके ब्लॉग पर नजर पड़ी तो ह्रदय पुष्प पुलकित हो गया. परम आदरणीय आपकी कुछ रचनाएँ पढ़ चुका हूँ अब "गीतकारजी" और "गीत कलश" पर बार बार आता रहूँगा और आपकी लेखनी के जादू से सजे मोतियों को पढ़ता रहूँगा. सादर
ReplyDeleteSadar Pranam :)
ReplyDeleteजन्म दिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामना!
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